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डेंगू हो या वायरल किसी भी तरह के बड़े से बड़े बुखार की रामबाण दवा है ये बेल

नमस्कार दोस्तों मैं हूं योगी योगेन्द्र जैसा की आप जानते हैं कि कई बार पेड पर एक हरे रंग की बेल चारों तरफ लिपट जाती है। हरे रंग की इस बेल को ही गिलोय कहते हैं। अगर यह बेल नीम के पेड़ के चारों तरफ लिपटी है तो इसे नीम गिलोय कहते हैं। जिसके गुण सामान्य गिलोय से अधिक होते हैं। आज मैं बताऊंगा कि इससे किस तरह लगभग सभी रोग दूर हो जाते हैं।


गिलोय को कैसे पहचानें
जैसा की मैने आपको बताया कि यह एक हरे रंग की बेल होती है जो किसी पेड के चारों तरफ लिपटी होती है। इसके पत्ते पान के पत्तों के समान दिखते हैं। इसके फूल छोटे छोटे गुच्छों में लगते हैं और इसके फल भी मटर के दानों के समान होते हैं। वैसे तो गिलोय की प्रकृति गर्म होती है लेकिन गिलोय कई रोगों में अत्यधिक लाभदायक है।

गिलोय का उपयोग
घी के साथ अगर गिलोय का सेवन किया जाए तो उससे वात रोग समाप्त होता है। कब्ज को समाप्त करने के लिए गिलोय का सेवन देसी गुड़ के साथ किया जाना चाहिए। शहद के साथ गिलोय का सेवन करने से सीने में जमा कफ बाहर निकल जाता है। अगर आप गठिया से पीडि़त हैें तो गिलोय का सेवन सौंठ के साथ करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार गिलोय के लाभ
गिलोय केा आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार बुखार दूर करने की सबसे अच्छी औषधी माना गया है। यह सभी प्रकार के बुखार चाहे मलेरिया टाईफाइड आदि को दूर करती है। तासीर में गर्म होने के बावजूद यह शरीर में गर्मी को नष्ट करती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार
कई बार वैज्ञानिकों ने भी गिलोय पर शोध किया है। जिससे पता चला है कि गिलोय की रासायनिक संरचना का विष्लेषण शरीर केलिए लाभदायक है। क्योंकि इसमें गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड वसा अल्कोहल ग्लिस्टेरॉल और अनेक प्रकार की वसा अम्ल एवं उडऩशील तेल पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों में भी कैल्शियम प्रोटीन और फास्फोरस मिलता है। कई प्रकार के शोध के बाद ज्ञात हुआ कि किसी भी रोग के वाइरस पर गिलोय का असर लाभदायक होता है। और इसमें सोडियम सेलिसि लेट अधिक मात्रा में पाए जाने के कारण यह अत्यधिक दर्द निवारक है। रोगों के संक्रमण को रोकने में भी प्रभावशाली है।

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