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प्रेम विवाह में कुछ समय बाद विवाद होने की मुख्य वजह क्या है

नमस्कार मैं हूं आपका दोस्त योगी योगेन्द्र जैसा की आप सब जानते हैं कि आज के समय में प्रेम विवाह कुछ अधिक होने लगे हैं जवानी में कदम रखते ही लड़के और लड़कियां आपस में प्रेम संबंध बनाने लग जाते हैं और कुछ समय बाद ही यही सोच कर विवाह के बंधन में बंध जाते हैँ कि एक दूसरे के प्रति उनका प्रेम और भावनाएं कभी नहीं बदलेंगी लेकिन सच्चाई यह है कि समय के साथ इंसान भी बदलता है और उसके संबंध भी बदल जाते हैं क्योंकि यह बात तो जग जाहिर है कि संबध कभी भी स्थिर नहीं हो सकते तो आज मैं आपको बताऊंगा कि आखिर प्रेम विवाह में जल्दी तलाक क्यों हो जाते हैं इसकी मुख्य वजह क्या है |


नकारात्मका है प्रेम की दुश्मन
इंसान का स्वभाव ही ऐसा है कि जैसे जैसे समय बीतता जाता है जिस साथी पर हम बहुत अधिक ध्यान देते हैं उससे हमारा ध्यान दूर होने लगता है और अपने जीवन की छोटी छोटी कुछ बातों की ओर मुडऩे लगता है हालांकि इसे इंसानी स्वभाव ही कहा जाएगा कि नकारात्मकता भी हमारा ध्यान अपनी ओर खींचती है प्रेम की पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा पर नकारात्मकता हावी होने लगती है और यही मुख्य वजह है कि कुछ समय बाद प्रेम का असर कम होना शुरू हो जाता है प्रेम में कमी आना यह बताता है कि हम गलत दिशा में जा रहे हैं जैसे ही प्रेम की तीव्रता कम होने लगती है एक दूसरे के प्रति करुणा और संवेदना कम होने लग जाती है और कुछ खाली पन सा महसूस होता है और संबंध टूटने के कगार पर आ जाते हैं |

सुन्दरता की वजह से बनते हैं प्रेम संबंध
जब हम पहली बार किसी लड़की को देखकर यह सोचते हैं कि यह कितनी सुंदर है और मंत्रमुग्ध हो जाते हैं तो हमारा आकर्षण बस उसकी खूबसूरती पर निर्भर करता है हम इतने पागल हो जाते हैं कि उस लड़की में वही चीज देखते हैं जो कि सकारात्मक है अगर उसके अंदर कोई ऐसी बात है जो हमें बिल्कुल पसंद नहीं है हम उस तरफ कभी सोचते ही नहीं प्रेम इसी तरह एक अच्छा औरबेहतर इंसान बनने में वैसे तो हमारी मदद करता है क्योंकि यह हमें दूसरों के लिए दयालू प्रशंसक या फिर संवेदनशील बनाता है लेकिन फिर भी विवाह करने के कुछ दिनों तक तो हमें लगता है कि हमारा जीवन साथी दुनिया में सबसे अच्छा है मगर कुछ दिनों बाद ही सच्चाई सामने आ जाती है क्योंकि शुरूआत में हमने सिर्फ उसकी अच्छाइयों पर ध्यानदिया था ओर समय बीतने के बाद हमें उसकी वो चीजें भी देखने को मिली जो हमें शुरू से पसंद थी ही नहीं और अब हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं |

प्रेम में भी होते हैं उतार चढ़ाव
दरअसल सच तो यह है कि जब हम प्रेम में होते हैं तो उसे ही यह समझने लगते हैं कि जीवन भर ऐसा ही चलता रहेगा और जो आज है हमेशा वैसा ही रहेगा अगर हम आज प्रसन्न हैं तो हमेशा रहेंगे लेकिन यह हमारा कोरा भ्रम हो सकता है और हम अपनी परेशानियों के लिए दूसरों पर दोष लगाने लगते हैं इसकी शुरूआत सबसे पहले अपने जीवन साथी से ही होती है और संबंध बिखरने लगता है रुपया पैसा रिश्ता और अन्य लोग जो किसी भी कारण से एक दूसरे से लड़ रहे हैं लेकिन इसकी मुख्य वजह यह है कि हमारे भीतर की अच्छाई बहुत कम हो गई है हम यह चाहते हैं कि हमारा साथी हमेशा वैसा ही रहे जैसा हम चाहते हैं लेकिन हमारा वही साथी कभी हमें बेहतर व्यक्ति नहीं बनाता है या तो हमारे भीतर की करुणा और संवेदनशीलता ही हमें अच्छा बनाती है। जब भी आप अपने संबंध में पहले की तरह ही प्रस्तुत होते हैं तो अपनी उसी संवेदनशीलता में ही जीने लगते हैं तो संबंधों में आपको प्रेम नजर आने लगता है और सबकुछ अचानक बदला हुआ नजर आता है लेकिन अगर हम अपने जीवन साथी पर अपने विचार थोपने लगते हैं तो यह प्रेम समाप्त होने के कगार पर आ जाता है |

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