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एक लड़की के चक्कर में आखिर ऐसा होता है दिल को छू जाएगी ये कविता

एक लड़की के चक्कर में घरवालो से आँखे चुराते है 
ट्यूशन के बहाने छिपकर उससे मिलने जाते है
रात को जब सारा जमाना सोता है
ये दीवाना दिल चुप चुपकर रोता है
वो जब भी मिलती है बहुत ही शर्माती है
इधर हमारी धडकनें भी बढ़ती जाती है
उससे मिलना बहुत अच्छा लगता है
प्यार में बच्चों सा मचलना अच्छा लगता है
उससे मिलके भी हम मिल नहीं पाते हैं
बस लम्हें हमें छू कर निकाल जाते है
उस लडकीके बिना अब रह ना पाएंगे
जुदा हो गये तो मोतियों सा बिखर जायेंगे |

उस लड़की में ही कुछ बात है
यूँ ही नहीं हम उसके साथ है
अब अकेले में एक ग़ज़ल गुनगुनाते हैं
इश्क क्या है हमसे पूछो हम बताते हैं
जबसे इश्क हुआ है शमा बदला सा लगने लगा है
हम पागल हो जायेंगे कुछ ऐसा लगने लगा है
घर में बाबूजी से बहुत डरते है
कैसे कहे उस लड़की से इश्क करते है
उस लड़की के बिना रह नहीं पाएंगे
जुदा हो गये तो मोतियों सा बिखर जायेंगे |

अन्दर ही अंदर उस लड़की को चाहते हैं
हर दोस्त को बस उसके किस्से सुनाते हैं
वो लड़की ही हमारा नसीब है
यूँ ही नहीं हम उसके करीब है
उसके हर लहजे में मिठास है
दिल में मौहब्बत होठों पे प्यास है
अब उसके बिना रह नहीं पाएंगे
जुदा हो गये तो मोतियों सा बिखर जायेंगे |

घरवाले इश्क स्वीकारेंगे नहीं
हम भी हार कभी मानेंगे नहीं
सख्त बाबूजी मनाना भी जंग है
घबराना क्या ये भी जीवन का रंग है
रोज सोचते है उसको घर लाने की बात
लेकिन कैसे करें बाबूजी से मुश्किल ये बात
इधर हमारे लिए उनके भी कुछ अरमान है
उधर वो लड़की ही बस हमारी जान है
आप ही बताओ कैसे खुले हमारे नए जीवन का द्वार
कैसे को पापाजी को हमारा प्रेम स्वीकार
उस लड़की के बिना अब रह नहीं पाएंगे
जुदा हो गये तो मोतियों सा बिखर जायेंगे |
नमस्कार मैं हूँ आपका दोस्त योगी योगेन्द्र इस कविता का लेखक मेरा छोटा भाई उभरता हुआ युवा रचनाकार देव शिखन है अगर आपको ये अच्छी लगी हो लाइक और शेयर जरुर कीजियेगा इसी तरह पोस्ट पढ़ते रहने के लिए और हमसे जुड़े रहने के लिए मुझे फॉलो करें धन्यवाद् |  


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